पृथ्वी की उत्पत्ति और महाद्वीपों एवं महासागरों की उत्पत्ति कैसे हुई?
हमारा प्यारा भारत देश ,आज जो आपको उत्तर में हिमालय पर्वत, दक्षिण में हिंद महासागर , पूर्व में बंगाल की खाड़ी और पश्चिम में अरब सागर से घीरा हुआ दिखाई देता है , क्या यह हमेशा ऐसे ही था या कुछ अलग था …..आखिर भारत देश का जन्म कैसे हुआ. .. इस पृथ्वी पर अलग-अलग महाद्वीप और उनमें बसे देश कैसे बने , जानेंगे सब कुछ डिटेल्स में इस आर्टिकल में.
पृथ्वी की उत्पत्ति कैसे हुई…(How To Formation Of The Earth)
पृथ्वी की उत्पत्ति कैसे हुई ? धरती का विकास और उसमें हो रहे बदलाव करोड़ों साल से निरंतर चल आ रहे हैं । आज जिस पृथ्वी को हम मानचित्र में देख रहे हैं , असल में वह शुरुआती समय में बिल्कुल अलग थी । आज से लगभग साढ़े चार अरब वर्ष पूर्व , पृथ्वी एक दहकती हुई आग का गोला थी । जिस पर जीवन का कोई नामोनिशान नहीं था।
जो वक्त के साथ धीरे धीरे ठंडी होती चली गई फिर चंद्रमा के निर्माण के साथ , पृथ्वी पर बारिश और मौसम की शुरुआत हुई। लगातार भयंकर बारिश से महासागरों का जन्म हुआ। और इन्हीं महासागरों में जीवन की शुरुआत हुई, इन जीवों में चली लंबी विकास की प्रक्रिया से आधुनिक मानव , होमोसेपियंस यानी हम इंसानों की उत्पत्ति हुई।
महाद्वीपों एवं महासागरों की उत्पत्ति कैसे हुई ?
महाद्वीपों एवं महासागरों की उत्पत्ति कैसे हुई ? आज मानचित्र में हम जिस दुनिया को देख रहे हैं, जो सात महाद्वीपों और पांच महासागरों में विभक्त है । करोड़ों साल पहले यह दुनिया बिल्कुल अलग थी।
आज से 2 करोड़ 25 लाख वर्ष पहले पृथ्वी पर मौजूद हर भाग आपस में जुड़ा हुआ था । इसका मतलब किसी देश की कोई भी बाउंड्री या फ्रैक्शन नहीं था। सब कुछ भूमि का एक बड़ा हिस्सा था , पृथ्वी के इस विशाल महाखंड को Pangea नाम से जाना जाता था और जो हिस्सा पानी से घिरा हुआ था उसे panthalasa के नाम से जाना जाता था।
आज से करोड़ों साल पहले Pangea महाखंड में platue टेक्टॉनिक प्रक्रिया की वजह से विखंडन शुरू हुआ , जिससे Pangea दो विशाल भूखंडों में टूट गया , जिसके दक्षिणी हिस्से यानी साउथ पार्ट को गोंडवाना लैंड और उत्तरी हिस्से यानी नॉर्दर्न पार्ट को लॉरेंसिया लैंड के नाम से जाना गया और इन दोनों विशाल भूखंडों के अलग होने के बाद बीच में जो महासागर का पानी भरा, जिससे एक खाड़ी का निर्माण हुआ, उसे साइंटिस्ट ने टेथीस सागर नाम दिया।
इस प्रक्रिया के लाखों साल बाद गोंडवाना और लॉरेंसेसिया लैंड में भी विखंडन शुरू हुआ, बाद के वर्षों में लॉरेंसिया लैंड से अलग हुए भूमि खण्डों से, उत्तरी अमेरिका , यूरोप और एशिया कॉन्टिनेंट का फार्मेशन हुआ ।
जबकि गोंडवाना लैंड से अलग हुए हिस्सों से दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका , ऑस्ट्रेलिया और अंटार्कटिका कॉन्टिनेंट का फार्मेशन हुआ। इस तरह पृथ्वी का एक विशाल महाखंड, टूटकर कई महाद्वीपों और उस पर बसे देशों के निर्माण की वजह बन गया।
भारत देश का फार्मेशन कैसे हुआ ??
भारत देश का फार्मेशन कैसे हुआ ?? भारत यानी हमारा प्यारा भारत देश , जो लगभग डेढ़ अरब इंसानों का घर है, साथ ही हम इंसानों से कई गुना इस पर , जीव, जंतु और पेड़ पौधे रहते हैं । हमारा देश इंडिया, भारत , हिंदुस्तान, जंबूद्वीप और आर्यावर्त आदि नाम से जाना जाता रहा है । जो सदियों से अपने अंदर , कई सभ्यताओं और संस्कृतियों के अवशेषों को समेटे हुए हैं।
वर्तमान में हमारा प्यारा भारत देश, भौगोलिक रूप से दक्षिणी गोलार्ध में स्थित, एशिया का एक पार्ट है। लेकिन क्या आपको पता है, आज से करोड़ों वर्ष पहले, भारत का यह हिस्सा प्राचीन भूखंड गोंडवाना लैंड का हिस्सा था।
आगे चलकर प्लेट टेक्टोनिक एक्टिविटी की वजह से , भारत भूमि का टुकड़ा गोंडवाना लैंड से अलग हुआ। जो महासागर पर तैरते हुए , धीरे-धीरे एशिया कॉन्टिनेंट की तरफ move करने लगा । लाखों साल चले इस सफर के बाद , आखिर में भूमि का वह हिस्सा जो गोंडवाना लैंड से अलग हुआ था, लॉरेंसेसिया लैंड के , लद्दाख से जा टकराया और उससे जुड़ गया । इस तरह गोंडवाना लैंड से अलग हुआ भूमि का एक हिस्सा , एशिया कॉन्टिनेंट का एक मेजर कंट्री बन गया। जिसे आज हम भारत के नाम से जानते हैं।
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती, इंडियन प्लेट और यूरेशियन प्लेट की टक्कर से , एक ऐसे माउंटेन रेंज का फार्मेशन हुआ । जो भारत देश में जीवन के विकास की वजह बना । हम बात कर रहे हैं हिमालय पर्वत की। हिमालय पर्वत ने अपने निर्माण के साथ, कई नदियों को जन्म दिया, और यह नदियां भारतीय उपमहाद्वीप में सभ्यताओं के विकास की आधार बनी।
हिमालय पर्वत भारत के लिए एक बॉडीगार्ड की तरह काम करता है । हिमालय न होता तो साइबेरिया से आने वाली ठंडी हवाएं भारत को बर्फ के चादरों से ढक देती। और बिना हिमालय के भारत में ,वर्षा न होती। तब शायद भारत रेगिस्तान में तब्दील हो जाता।
हम कह सकते हैं कि , भारत का जन्म भले ही कॉन्टिनेंटल ड्रिफ्ट थ्योरी की देन है । लेकिन भारत देश को पालने और विकसित करने में, हिमालय का सबसे बड़ा योगदान है। इसीलिए हम भारतवासी , हिमालय की पूजा करते हैं और हिमालय पर्वत को देवता मानते हैं।
अभी तक हमने इस वीडियो में जिस, थ्योरी को जाना उसे अल्फ्रेड वेगनर ने दिया था। जिसे कॉन्टिनेंटल ड्रिफ्ट थ्योरी कहते हैं । उन्होंने बताया था कि , पृथ्वी अरबों वर्ष पहले, एक विशाल महाखंड के रूप में थी । जो टाइम के साथ चेंज होती गई । इसको प्रूफ करने के लिए , उन्होंने एक तर्क दिया कि, आज अगर हम पृथ्वी के , सारे कॉन्टिनेंट को जोड़ दें , तो, फिर से पंजिया महाखंड तैयार हो जाएगा । और यह थ्योरी ज़िक्सा फिट के नाम से जानी गई ।